परशुराम जयंती




हिंदू धर्म में, परशुराम जयंती एक प्रमुख त्योहार है जो भगवान परशुराम के जन्म का उत्सव मनाता है। भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में माने जाने वाले परशुराम को न्याय और क्षत्रियों के विनाशक के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।

परशुराम जयंती आमतौर पर वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है, जो आमतौर पर अप्रैल या मई में पड़ती है। इस पावन अवसर पर, भक्त पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं और परशुराम की कथा सुनते हैं।

परशुराम का जन्म

पौराणिक कथाओं के अनुसार, परशुराम का जन्म महर्षि जमदग्नि और उनकी पत्नी रेणुका के घर हुआ था। जमदग्नि एक महान ऋषि थे और रेणुका अपनी पवित्रता और भक्ति के लिए जानी जाती थीं। एक दिन, जब रेणुका नदी से पानी ला रही थीं, तो उन्होंने राजा कार्तवीर्य अर्जुन की पूजा की, जो हजारों भुजाओं वाला एक शक्तिशाली राजा था। इसने इंद्र को क्रोधित कर दिया, जो देवताओं के राजा थे। इंद्र ने अपने वज्र से रेणुका पर हमला किया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।

जब जमदग्नि को अपनी पत्नी की मृत्यु के बारे में पता चला, तो वे क्रोधित हो गए और बदला लेने की कसम खाई। उन्होंने अपने पुत्र परशुराम को बुलाया और उन्हें कार्तवीर्य अर्जुन और उसके सभी सहयोगियों को मारने का आदेश दिया। परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया और क्षत्रियों के खिलाफ एक लंबा और खूनी युद्ध लड़ा। अंततः, उन्होंने कार्तवीर्य अर्जुन और उसके सभी सहयोगियों का वध कर दिया।

परशुराम की पूजा

परशुराम को न्याय और क्षत्रियों के विनाशक के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। उन्हें ब्राह्मणों का रक्षक और धर्म का संरक्षक भी माना जाता है। परशुराम की पूजा अक्सर उनकी माँ रेणुका और उनके पिता जमदग्नि की भी पूजा करने वाले भक्तों द्वारा की जाती है।

परशुराम जयंती पर, भक्त भगवान परशुराम की मूर्तियों को सजाते हैं, उन्हें नैवेद्य अर्पित करते हैं और उनकी आरती गाते हैं। वे परशुराम की कथा भी सुनते हैं और व्रत रखते हैं। कुछ भक्त गंगा नदी में पवित्र स्नान भी करते हैं, क्योंकि यह माना जाता है कि यह परशुराम द्वारा बनाई गई है।

परशुराम जयंती का महत्व

परशुराम जयंती एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो न्याय, धर्म और भक्ति के मूल्यों का जश्न मनाता है। यह भक्तों को भगवान परशुराम के आदर्शों का अनुसरण करने और अपने जीवन में धर्म का पालन करने के लिए प्रेरित करता है। यह त्योहार हिंदू संस्कृति में एकता और भाईचारे को भी बढ़ावा देता है।