सम पित्रोदा




भारतीय अमेरिकी व्यवसायी और नवाचारक सम पित्रोदा को भारत के दूरसंचार क्षेत्र में क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है। वह एक दूरदर्शी नेता हैं जिन्होंने भारत को एक टेलीकॉम महाशक्ति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

सम पित्रोदा का जन्म 1942 में गुजरात के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और बाद में टेलीकॉम इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की।

भारतीय दूरसंचार क्रांति में योगदान

1980 के दशक में, पित्रोदा भारतीय दूरसंचार विभाग में शामिल हुए। उस समय, भारत में केवल कुछ ही लाख टेलीफोन लाइनें थीं। पित्रोदा ने दूरदर्शन टेलीकॉम मिशन का नेतृत्व किया, जिसका उद्देश्य देश में दूरसंचार पहुंच का विस्तार करना था।
पित्रोदा के नेतृत्व में, भारत ने टेलीकॉम क्षेत्र में कई मील के पत्थर हासिल किए। उन्होंने सार्वजनिक टेलीफोन बूथों की स्थापना की, मोबाइल टेलीफोनी का शुभारंभ किया और भारत को इंटरनेट से जोड़ा। इन पहलों ने भारत के आर्थिक विकास में क्रांति ला दी और लाखों लोगों के लिए नौकरियां और अवसर पैदा किए।

वर्तमान कार्य

भारतीय दूरसंचार क्रांति में योगदान देने के बाद, पित्रोदा ने कई नई पहलों की शुरुआत की है। वह इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं, जो नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देता है। वह प्रधान मंत्री के राष्ट्रीय नवाचार परिषद के सदस्य भी हैं।

सम्मान और मान्यता

सम पित्रोदा को उनके काम के लिए कई पुरस्कार और प्रशंसाएँ मिली हैं। उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। उन्हें फ्रांस सरकार द्वारा लीजन डी'ऑनर भी प्रदान किया गया है।

विरासत

सम पित्रोदा एक प्रेरणादायक व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व का दूरसंचार क्षेत्र में स्थायी प्रभाव पड़ा है। वह लाखों भारतीयों के लिए एक प्रेरणा बने हुए हैं जो एक बेहतर भविष्य का निर्माण करने की आकांक्षा रखते हैं।