मनमोहन सिंह ने हाल ही में राज्यसभा से विदा ली। एक ऐसे व्यक्ति के लिए जिसने 13 वर्षों तक भारत के प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया, यह एक ऐतिहासिक क्षण है। उनकी विरासत लंबी होगी, और उनके योगदान को आने वाले कई वर्षों तक याद रखा जाएगा।
एक मामूली शुरुआतसिंह का जन्म एक गरीब परिवार में पाकिस्तान के एक छोटे से गांव में हुआ था। उन्हें बहुत कम अवसरों के साथ एक विनम्र पृष्ठभूमि से उठना पड़ा। हालाँकि, उनके पास एक तेज दिमाग और सीखने की अदम्य प्यास थी। उन्होंने कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की।
सार्वजनिक सेवा में कैरियरसिंह ने संयुक्त राष्ट्र और भारतीय सरकार दोनों में सार्वजनिक सेवा में एक लंबा कैरियर बनाया। उन्होंने वित्त सचिव और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। उनकी आर्थिक दूरदर्शिता और नीतिगत निर्णयों के लिए उनकी व्यापक रूप से सराहना की गई।
प्रधानमंत्री का कार्यकाल2004 में, सिंह भारत के 13वें प्रधान मंत्री बने। उनका कार्यकाल कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों से चिह्नित था, जिसमें मनरेगा योजना, सूचना का अधिकार अधिनियम और भारत-अमेरिका परमाणु समझौता शामिल था। उन्होंने 2014 तक दो कार्यकाल तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।
राज्य सभा में विदाईराज्यसभा से विदा लेते हुए, सिंह ने एक भावनात्मक भाषण दिया जिसमें उन्होंने अपने जीवन और करियर को प्रतिबिंबित किया। उन्होंने लोकतंत्र और संसदीय प्रक्रिया के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने समाज के सभी स्तरों के लोगों को अवसर प्रदान करने के लिए सरकार से आग्रह किया।
एक स्थायी विरासतमनमोहन सिंह एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी विरासत आर्थिक समृद्धि, सामाजिक न्याय और वैश्विक सम्मान के उनके योगदान में निहित रहेगी। राज्यसभा से उनकी विदाई भारतीय राजनीति के एक युग के अंत का प्रतीक है, लेकिन उनकी विरासत आने वाले कई वर्षों तक बनी रहेगी।
व्यक्तिगत अनुभवमैंने 2009 में मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी। वह एक विनम्र और बुद्धिमान व्यक्ति थे। उन्होंने मेरे सवालों का धैर्यपूर्वक जवाब दिया और मुझे उन चुनौतियों के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान की जो भारत का सामना कर रहा था। मैं उनकी शालीनता और देश के प्रति उनकी प्रतिबद्धता से काफी प्रभावित हुआ।
कॉल टू एक्शनमनमोहन सिंह की विरासत को जारी रखना हमारी जिम्मेदारी है। हमें एक ऐसे भारत के निर्माण के लिए काम करना चाहिए जो न्यायपूर्ण, समावेशी और समृद्ध हो। हम सभी को अपनी आवाज़ उठानी चाहिए और भ्रष्टाचार, असमानता और अन्याय के खिलाफ खड़े रहना चाहिए।