पशुपति कुमार पारस




बिहार की राजनीति का एक चर्चित चेहरा पशुपति कुमार पारस हैं। उनकी राजनीतिक यात्रा काफी उतार-चढ़ाव से भरी रही है। कभी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष रहे पारस आज एक अलग खेमा बना चुके हैं। पशुपति कुमार पारस: एक राजनीतिक पहेली लेख में हम उनके जीवन और करियर का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।

शुरुआती जीवन और राजनीतिक सफर

पशुपति कुमार पारस का जन्म 22 फरवरी, 1955 को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मड़वन गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा मणिपुर से प्राप्त की। राजनीति में आने से पहले, पारस शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय थे। वे 1990 में जनता दल से जुड़कर सक्रिय राजनीति में आए।

लोजपा में भूमिका

पारस 1996 में लोजपा के गठन के बाद से पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक रहे हैं। रामविलास पासवान के नेतृत्व में, लोजपा बिहार की एक प्रमुख राजनीतिक ताकत बन गई। पारस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार इकाई के अध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत रहे।

पारिवारिक विवाद और अलग खेमा

रामविलास पासवान के निधन के बाद, पारिवारिक विवाद के चलते लोजपा में कई गुट हो गए। पारस और रामविलास पासवान के छोटे भाई चिराग पासवान के बीच नेतृत्व के लिए विवाद उभरा। अंततः, पारस ने लोजपा के एक अलग गुट का नेतृत्व किया।

वर्तमान राजनीतिक स्थिति

वर्तमान में, पशुपति कुमार पारस राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के अध्यक्ष हैं। आरएलजेपी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा है। पारस केंद्र सरकार में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री के रूप में कार्यरत हैं।

विवाद और आलोचना

पशुपति कुमार पारस का राजनीतिक करियर विवादों से भरा रहा है। उन पर भ्रष्टाचार और सत्ता का दुरुपयोग करने के आरोप लगे हैं। हालांकि, उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया है। हाल ही में, उन्हें संसद में उग्रवादी टिप्पणी करने के लिए भी आलोचना का सामना करना पड़ा।

भविष्य की संभावनाएं

पशुपति कुमार पारस की भविष्य की राजनीतिक संभावनाएं अनिश्चित हैं। वह एनडीए के एक महत्वपूर्ण घटक बने हुए हैं, लेकिन उन्हें अपने विवादों और परिवार के भीतर जारी कलह को संभालने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। यह देखा जाना बाकी है कि क्या पारस अपनी राजनीतिक स्थिति बनाए रखने और भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम होंगे।

पशुपति कुमार पारस एक जटिल और विवादास्पद व्यक्ति हैं। वह बिहार की राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति बने हुए हैं, और उनकी आगे की यात्रा निश्चित रूप से देखने लायक होगी।