एक शांत और हरे-भरे पार्क में, जहां पेड़ ऊंचे खड़े थे और फूल खिलते थे, एक छोटी सी बेंच पर एक बुजुर्ग महिला बैठी थी। उसका नाम पावी था, और वह अकेली थी।
पावी एक साधारण महिला थी। वह कभी शादी नहीं की थी और उसके कोई बच्च नहीं थे। उसके पास कोई करीबी दोस्त या परिवार भी नहीं था। इसलिए, वह अपने दिन अकेले पार्क में बिताती थी, अतीत की यादों में खोई रहती थी।
एक दिन, जब पावी पार्क में बैठी थी, उसकी नजर एक युवा महिला पर पड़ी जो पास से गुजर रही थी। महिला के हाथ में एक बड़ा सा बर्गर था, और वह इसे बड़े चाव से खा रही थी।
पावी की आंखें बर्गर पर टिक गईं। उसे बहुत भूख लगी हुई थी, लेकिन वह बर्गर नहीं खरीद सकती थी। उसके पास कोई पैसा नहीं था।
तभी, युवा महिला ने पावी को देखा। उसने देखा कि पावी की आंखें बर्गर पर टिकी हुई थीं। महिला ने मुस्कुराया और पावी के पास आकर खड़ी हो गई।
"क्या आप यह बर्गर खाना चाहेंगी?" महिला ने पूछा।
पावी हैरान रह गई। उसने कभी नहीं सोचा था कि कोई अजनबी उसे खाना देगा।
"जी, जरूर," पावी ने जवाब दिया।
महिला ने पावी को बर्गर दिया। पावी ने बड़े चाव से बर्गर खाया। यह उसके जीवन में खाया गया सबसे स्वादिष्ट बर्गर था।
जब पावी ने बर्गर खा लिया, तो उसने युवा महिला को धन्यवाद दिया।
"इसका कोई बात नहीं," महिला ने कहा। "मुझे खुशी है कि आपको यह पसंद आया।"
महिला ने पावी से उसका नाम पूछा।
"मेरा नाम पावी है," पावी ने कहा।
"मुझे खुशी है, पावी," महिला ने कहा। "मेरा नाम आशा है।"
आशा और पावी पार्क में और देर तक बैठकर बातें करते रहे। उन्होंने अपनी जिंदगी के बारे में बताया। पावी ने आशा को बताया कि वह अकेली है और उसके कोई करीबी नहीं है।
आशा ने पावी को बताया कि वह एक सामाजिक कार्यकर्ता है। वह अकेले बुजुर्गों की मदद करती है।
"क्या आप मेरी मदद करेंगी?" पावी ने पूछा।
"निश्चित रूप से," आशा ने कहा।
आशा ने पावी को अपने घर ले गई। उसने पावी को रहने के लिए एक कमरा दिया और उसके लिए खाना बनाया। पावी आशा के घर में बहुत खुश थी। आशा उसके लिए एक बेटी की तरह थी।
आशा की बदौलत पावी का जीवन पूरी तरह से बदल गया। वह अब अकेली नहीं थी। उसके पास एक घर थी, एक परिवार था और एक दोस्त थी।
पावी और आशा की कहानी हमें यह सिखाती है कि छोटे से छोटा काम भी किसी के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है। यह हमें यह भी याद दिलाती है कि हम सभी को एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए, खासकर उन लोगों की जो अकेले और जरूरतमंद हैं।