थ्रिसूर पूरम: दिव्य शान और धार्मिक उत्साह का अद्भुत संगम




थ्रिसूर पूरम केरल के सबसे प्रसिद्ध और भव्य त्योहारों में से एक है। यह 36 घंटे का एक रंगारंग उत्सव है जो हर साल अप्रैल-मई में थ्रिसूर में आयोजित किया जाता है। यह त्यौहार भगवान शिव को समर्पित है और देवताओं के बीच विष्णु और शिव की पौराणिक प्रतिद्वंद्विता को दर्शाता है।

इस त्योहार की शुरुआत 18वीं शताब्दी में कोचीन के राजा राम वर्मा ने की थी। तभी से यह त्यौहार थ्रिसूर की सांस्कृतिक पहचान बन गया है। इस त्योहार में केरल भर के 10 मंदिरों से भगवान शिव की प्रतिमा को भव्य जुलूस में थ्रिसूर के वाडकुन्नथन मंदिर ले जाया जाता है।

पूरम का मुख्य आकर्षण है
परमेल नाहुशम

हाथियों के ऊपर रखे विशाल रंगीन छतरियों का एक शानदार प्रदर्शन। ये छतरियां मंदिरों का प्रतीक होती हैं और जितनी बड़ी और भव्य होती हैं, उतनी ही अधिक प्रतिष्ठा मंदिर को मिलती है। पूरम के दौरान, विभिन्न मंदिर अपनी सबसे बड़ी और सबसे सजी हुई छतरियों का प्रदर्शन करते हैं, जिससे एक अविस्मरणीय दृष्टि बन जाती है।

एक और आकर्षक तत्व है
कुदमट्टम

एक पारंपरिक मलयाली मार्शल आर्ट प्रदर्शन जिसमें प्रतिभागी लयबद्ध रूप से ढोल बजाते हुए नृत्य करते हैं। यह ऊर्जावान प्रदर्शन भीड़ का एक पसंदीदा है और त्योहार के उत्साह को बढ़ाता है।

  • सुरुचिपूर्ण मंदिर प्रक्रियाएं
  • रंगीन आतिशबाजी
  • स्वादिष्ट स्थानीय व्यंजन
  • जीवंत सांस्कृतिक प्रदर्शन

मैंने कई बार थ्रिसूर पूरम का अनुभव किया है, और हर बार यह एक अविस्मरणीय अनुभव रहा है। उत्सव की जीवंतता, लोगों की भक्ति और शानदार कलाकृतियां मुझे हर बार आश्चर्यचकित कर देती हैं। यदि आप कभी केरल आते हैं, तो यह त्योहार आपके लिए निराशाजनक नहीं होगा।

तो, इस अप्रैल-मई में, थ्रिसूर पूरम के दिव्य शान और धार्मिक उत्साह का अनुभव करने के लिए थ्रिसूर आएं। यह एक ऐसा अनुभव है जो आप लंबे समय तक याद रखेंगे।


जय शिव!