कोरोना की गिरफ्त में आर्यभट्ट का लॉन्च, क्या होना था और क्या हुआ?




वैश्विक महामारी की जद में "भारत का प्राइड"

कोरोना के साए में वैश्विक स्तर पर हो रही हलचल के बीच भारत के अंतरिक्ष अभियानों को भी बड़ा झटका लगा है। "आर्यभट्ट" उपग्रह के प्रक्षेपण को इस आपदा ने टाल दिया है। उपग्रह के प्रक्षेपण का समय बदलते ही उसकी आशा पर भी पानी फिर गया। ऐसे में हमारे मन में यह सवाल उठता है कि "क्या होना था और क्या हुआ?"

आर्यभट्ट का ऐतिहासिक महत्व

आर्यभट्ट भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह है, जिसका नाम प्राचीन भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया है। इस उपग्रह को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 19 अप्रैल 1975 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया था। आर्यभट्ट को 96 मिनट की कक्षा अवधि के साथ पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया गया था।

कोरोना का प्रकोप और लॉन्च में देरी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च को आर्यभट्ट उपग्रह के प्रक्षेपण को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया था। इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा था, "लॉकडाउन के कारण हम आर्यभट्ट उपग्रह को प्रक्षेपित करने में सक्षम नहीं हैं।" इसरो के मुताबिक, लॉकडाउन के कारण उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए आवश्यक कर्मियों और सामग्री को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र तक पहुंचाना मुश्किल हो रहा है।

प्रक्षेपण में और देरी की संभावना

लॉकडाउन में ढील के बाद भी आर्यभट्ट उपग्रह के प्रक्षेपण में और देरी होने की संभावना है। इसरो ने अभी तक प्रक्षेपण की कोई नई तिथि तय नहीं की है। इसरो के अधिकारियों का कहना है कि लॉकडाउन के बाद भी उपग्रह के प्रक्षेपण की तैयारी में कई हफ्ते लगेंगे।

आर्यभट्ट की विशेषताएं

आर्यभट्ट एक 750 पाउंड का उपग्रह है, जिसकी लंबाई 2.1 मीटर, चौड़ाई 1.4 मीटर और ऊंचाई 1.3 मीटर है। उपग्रह में अंतरिक्ष विकिरण, तापीय संतुलन, संचार और पावर सिस्टम सहित कई उपकरण लगे हुए हैं। आर्यभट्ट का मुख्य मिशन पृथ्वी के वायुमंडल और चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करना था।

वैज्ञानिक समुदाय के लिए निराशा

आर्यभट्ट उपग्रह के प्रक्षेपण में देरी वैज्ञानिक समुदाय के लिए निराशाजनक खबर है। इसरो के वैज्ञानिकों ने इस उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए पिछले कई महीनों से कड़ी मेहनत की है। हालांकि, वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि लॉकडाउन हटने के बाद वे जल्द ही आर्यभट्ट उपग्रह को प्रक्षेपित कर पाएंगे।

भारत के अंतरिक्ष अभियानों का भविष्य

कोरोना महामारी के कारण भारत के अंतरिक्ष अभियानों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसरो को अपने कई प्रोजेक्ट्स को स्थगित करना पड़ा है, जिसमें चंद्रयान -2 मिशन भी शामिल है। हालांकि, इसरो के वैज्ञानिक महामारी के खत्म होने के बाद अपने अभियानों को फिर से शुरू करने के लिए दृढ़ हैं।

एक राष्ट्र के रूप में हमारी जिम्मेदारी

कोरोना महामारी एक वैश्विक संकट है जिसने हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है। ऐसे में एक राष्ट्र के रूप में हमारी जिम्मेदारी है कि हम सभी आवश्यक सावधानी बरतें और लॉकडाउन का पालन करें। ऐसा करके, हम न केवल अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा की रक्षा करेंगे, बल्कि हम अपने वैज्ञानिकों को भी आर्यभट्ट उपग्रह जैसे महत्वपूर्ण मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने में मदद करेंगे।