एच.डी. देवेगौड़ा: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री की अनकही कहानी




प्रस्तावना
भारत की राजनीति में एच.डी. देवेगौड़ा का नाम एक ऐसे नेता के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने अपने जीवन में असाधारण उपलब्धियां हासिल की हैं। एक किसान परिवार से उठकर देश के प्रधानमंत्री बनने तक की उनकी यात्रा प्रेरणादायक और रोमांचकारी है। इस लेख में, हम देवेगौड़ा के जीवन की अनकही कहानी, उनके संघर्षों और उपलब्धियों पर प्रकाश डालेंगे।
प्रारंभिक जीवन और राजनीतिक सफर
एच.डी. देवेगौड़ा का जन्म 18 मई, 1933 को कर्नाटक के होलेनरसीपुर तालुक के हरदानहल्ली गाँव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय सरकारी स्कूल से प्राप्त की। कम उम्र से ही, देवेगौड़ा राजनीति और सामाजिक कार्यों में रुचि रखते थे।
वर्ष 1953 में, देवेगौड़ा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। उन्होंने स्थानीय पंचायत चुनावों से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और धीरे-धीरे राज्य विधानसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए। कर्नाटक की राजनीति में उनका प्रभाव लगातार बढ़ रहा था, और 1994 में, वह मुख्यमंत्री बने।
प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल
1996 में, देवेगौड़ा को 11वीं लोकसभा के लिए चुना गया और उन्हें संयुक्त मोर्चा सरकार का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई। वह 1 जून, 1996 को भारत के प्रधानमंत्री बने।
अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान, देवेगौड़ा ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जिनमें राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थापना और केंद्रीय बजट में कृषि के लिए आवंटन में वृद्धि शामिल है। उन्होंने पाकिस्तान के साथ संबंधों को सामान्य करने के लिए प्रयास किए और परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध लगाने वाले व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) पर हस्ताक्षर किए।
संघर्ष और चुनौतियाँ
प्रधानमंत्री के रूप में, देवेगौड़ा को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। संयुक्त मोर्चा सरकार को संसद में बहुमत नहीं था, जिससे विधायी प्रक्रिया कठिन हो गई। उन्हें अपने गठबंधन सहयोगियों से भी आंतरिक विरोध का सामना करना पड़ा।
1997 में, बोफोर्स घोटाले में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। प्रस्ताव विफल हो गया, लेकिन इससे देवेगौड़ा की सरकार को नुकसान पहुँचा और अंततः इसके पतन का कारण बना।
बाद में राजनीतिक कैरियर
प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद, देवेगौड़ा ने कर्नाटक की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाना जारी रखा। वह 2004 और 2009 में फिर से मुख्यमंत्री बने। 2018 में, उन्होंने राज्यसभा के लिए चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
विरासत
एच.डी. देवेगौड़ा को भारत की राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में याद किया जाता है। एक किसान परिवार से उठकर देश के प्रधानमंत्री बनने तक की उनकी यात्रा एक प्रेरणादायक कहानी है जो साबित करती है कि कुछ भी असंभव नहीं है।
अपने कार्यकाल के दौरान, देवेगौड़ा ने सामाजिक न्याय और कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण नीतियों की शुरुआत की। वह एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने भारत के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनके अनुयायी उन्हें "कन्नड़ टाइगर" के नाम से जानते हैं, जो उनके साहस और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। अपनी सादगी और विनम्रता के लिए भी उन्हें जाना जाता है, जो उन्हें लोगों से जोड़ती है।
निष्कर्ष
एच.डी. देवेगौड़ा की जीवन यात्रा एक असाधारण कहानी है जो उनके अटूट संकल्प और भारत के लोगों के लिए उनकी सेवा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। एक साधारण किसान से राष्ट्र के नेता तक की उनकी यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में उनकी विरासत हमेशा याद रखी जाएगी।