उगादी उत्सव




उगादी दक्षिण भारत का एक प्रमुख त्योहार है जो गुड़ी पड़वा के नाम से भी जाना जाता है। यह चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर मार्च या अप्रैल के महीने में पड़ता है।

उगादी का शाब्दिक अर्थ है "युग की शुरुआत"। इस दिन यह माना जाता है कि ब्रह्मा ने ब्रह्मांड का निर्माण शुरू किया था। इसलिए, उगादी न केवल एक नए साल की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि सृष्टि की शुरुआत का भी प्रतीक है।

उगादी भव्यता और परंपरा के साथ मनाया जाने वाला त्योहार है। इसकी शुरुआत 'पंचांग श्रवण' से होती है, जो एक ज्योतिषी द्वारा नए साल का विवरण पढ़ने की घटना है।

  • गुड़ी उठाना: यह उगादी का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसमें एक बड़ी बांस की छड़ी पर एक रंगीन कपड़ा बांधा जाता है और उस पर एक तांबे का बर्तन या कमल का फूल रखा जाता है। यह गुड़ी बुरी आत्माओं को दूर रखने और समृद्धि लाने के लिए घर के ऊपर उठाई जाती है।
  • उगादी पच्चड़ी: यह एक स्वादिष्ट व्यंजन है जो उगादी को विशेष रूप से तैयार किया जाता है। यह इमली, गुड़, नीम के फूल और विभिन्न मसालों के मिश्रण से बना होता है। इसका स्वाद मीठा, खट्टा और कड़वा होता है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक है।
  • नए कपड़े और गहने पहनना: उगादी पर नए कपड़े और गहने पहनना शुभ माना जाता है। यह नए साल की शुरुआत और खुशियों का प्रतीक है।
  • परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना: उगादी एक ऐसा त्योहार है जो परिवार और दोस्तों को एक साथ लाता है। लोग एक साथ मिलते हैं, बातें करते हैं, खाना खाते हैं और त्योहार का आनंद लेते हैं।

उगादी एक ऐसा त्योहार है जो आशा, नई शुरुआत और सृष्टि की सुंदरता का जश्न मनाता है। यह एक ऐसा समय है जब हम जीवन के अतीत को प्रतिबिंबित करते हैं, वर्तमान का आनंद लेते हैं और भविष्य के लिए आशा करते हैं।

आप सभी को उगादी की ढेर सारी शुभकामनाएं!