अंबेडकर जयंती 2024: समानता के प्रतीक डॉ. भीमराव अंबेडकर की विरासत




आपने अक्सर सुना होगा कि डॉ. अंबेडकर ने हमारे देश को संविधान दिया. पर क्या आपको पता है कि उन्होंने संविधान में क्या-क्या लिखा है?
आइए, आज हम जानते हैं डॉ. अंबेडकर के लिखे उस संविधान के कुछ महत्वपूर्ण हिस्सों के बारे में...
अस्पृश्यता का अंत
भारत में सदियों से चली आ रही अस्पृश्यता की कुप्रथा डॉ. अंबेडकर के लिए हमेशा से एक बड़ा दर्द थी. उन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा इस कुप्रथा को खत्म करने में लगा दिया.
संविधान में उन्होंने अस्पृश्यता को पूरी तरह से गैरकानूनी घोषित कर दिया. उन्होंने यह भी लिखा कि किसी भी तरह से छूआछूत का व्यवहार करने वाले व्यक्ति को 5 साल तक की सज़ा हो सकती है.
महिलाओं के अधिकार
डॉ. अंबेडकर ने संविधान में महिलाओं के अधिकारों पर भी खास ध्यान दिया. उन्होंने संविधान में लिखा कि महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार और अवसर मिलने चाहिए.
उन्होंने यह भी लिखा कि महिलाओं और पुरुषों के लिए समान वेतन होना चाहिए. साथ ही, उन्होंने महिलाओं को मतदान का अधिकार भी दिया.
शिक्षा का अधिकार
डॉ. अंबेडकर का मानना था कि शिक्षा हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है. उन्होंने संविधान में लिखा कि 6 से 14 साल तक के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार होना चाहिए.
उन्होंने यह भी लिखा कि राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी बच्चों को स्कूल जाने का मौका मिले.
धार्मिक स्वतंत्रता
भारत एक बहुधार्मिक देश है. डॉ. अंबेडकर जानते थे कि धार्मिक सद्भाव भारत के लिए बहुत ज़रूरी है. उन्होंने इसलिए संविधान में लिखा कि हर व्यक्ति को अपने धर्म को मानने और उसका प्रचार करने की स्वतंत्रता है.
उन्होंने यह भी लिखा कि कोई भी धर्म जबरदस्ती किसी पर नहीं थोपा जा सकता.
सामाजिक न्याय
डॉ. अंबेडकर हमेशा से सामाजिक न्याय के पक्षधर रहे. उनका मानना था कि समाज में सभी लोगों को समान अवसर मिलने चाहिए.
इसलिए, उन्होंने संविधान में कई प्रावधान लिखे जिससे समाज के पिछड़े वर्गों को मदद मिल सके. उन्होंने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण की व्यवस्था की.
निष्कर्ष
डॉ. अंबेडकर द्वारा लिखा गया भारतीय संविधान एक बहुत ही महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है. इसमें हमारे देश के सभी नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य लिखे गए हैं.
यह संविधान न केवल हमारे कानून का आधार है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और सभ्यता का भी आधार है. यह समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे के सिद्धांतों पर आधारित है.
इस अंबेडकर जयंती पर आइए हम डॉ. अंबेडकर को याद करें और उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलने का संकल्प लें.