Infosys नारायण मूर्ति: एक विजनरी नेता की प्रेरक यात्रा




नारायण मूर्ति भारतीय आईटी इंडस्ट्री के एक दिग्गज हैं, जिन्हें Infosys के सह-संस्थापक के रूप में जाना जाता है। उनकी कंपनी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बदलने और देश को वैश्विक मानचित्र पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यहाँ उनकी असाधारण यात्रा की एक झलक है जो प्रेरणा और सीख से भरी हुई है।
## विनम्र शुरुआत
मूर्ति का जन्म 1946 में कर्नाटक के शिराडी नामक एक छोटे से गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे, और उनकी माँ एक गृहिणी थीं। विनम्र परिस्थितियों में पले-बढ़े, मूर्ति ने बचपन से ही मेहनत और लगन का महत्व सीखा।
## शैक्षणिक उत्कृष्टता
मूर्ति ने मंगलौर विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। इसके बाद, उन्होंने आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री हासिल की। उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता उनके दृढ़ संकल्प और ज्ञान की प्यास की गवाही देती है।
## शुरुआती करियर और Infosys की स्थापना
1974 में, मूर्ति और छह अन्य इंजीनियरों ने अहमदाबाद में Infosys की स्थापना की। वह कंपनी के पहले मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) बने। शुरुआत में, कंपनी छोटे अनुबंधों पर काम करती थी, लेकिन मूर्ति के नेतृत्व में, यह तेजी से बढ़ी और जल्द ही एक प्रमुख आईटी कंपनी बन गई।
## ग्राहक-केंद्रित दर्शन
मूर्ति का मानना ​​था कि ग्राहक सब कुछ होते हैं। उन्होंने "ग्राहक पहले" के सिद्धांत पर Infosys का निर्माण किया, और यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया कि उनके ग्राहक हमेशा संतुष्ट रहें। उनकी ग्राहक-केंद्रित मानसिकता ने Infosys की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
## नैतिकता पर जोर
मूर्ति नैतिकता और सत्यनिष्ठा में दृढ़ विश्वास रखते थे। उनका मानना ​​था कि सफलता केवल कड़ी मेहनत और ईमानदारी से ही हासिल की जा सकती है। उन्होंने Infosys के लिए एक मजबूत नैतिक आधार स्थापित किया, जो आज भी कंपनी में बना हुआ है।
## सामाजिक उद्देश्य
मूर्ति एक दूरदर्शी नेता थे जो मानते थे कि व्यवसायों को समाज को वापस देना चाहिए। उन्होंने Infosys फाउंडेशन की स्थापना की, जो कई सामाजिक और धर्मार्थ पहलों का समर्थन करता है। उनकी सामाजिक जिम्मेदारी की भावना प्रेरणादायक है और व्यवसायों के लिए एक उदाहरण स्थापित करती है।
## विरासत और पुरस्कार
मूर्ति ने 2011 में Infosys के सीईओ के रूप में पद छोड़ दिया, लेकिन वे कंपनी में एक सक्रिय भूमिका निभाना जारी रखते हैं। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है। वह कई मानद उपाधियों और पुरस्कारों के प्राप्तकर्ता भी हैं।
## प्रेरणा और सीख
नारायण मूर्ति की यात्रा हमारे लिए कई सबक देती है। उनकी विनम्र शुरुआत हमें सिखाती है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ कुछ भी हासिल किया जा सकता है। उनकी ग्राहक-केंद्रित मानसिकता हमें याद दिलाती है कि ग्राहकों की संतुष्टि किसी भी व्यवसाय की आधारशिला है। उनकी नैतिकता पर जोर हमें ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के महत्व की याद दिलाता है। अंत में, उनकी सामाजिक जिम्मेदारी की भावना सभी व्यवसायों के लिए एक उदाहरण है कि वे समाज को वापस कैसे दे सकते हैं।
व्यक्तित्व के स्तर पर, मूर्ति एक विनम्र और दयालु व्यक्ति हैं। वह अपने कर्मचारियों और सहयोगियों की परवाह करते हैं, और वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। उनकी सादगी और विनम्रता एक विरोधाभास है उनकी असाधारण उपलब्धियों की, लेकिन यह उनकी चरित्र की ताकत को दर्शाता है।
भारतीय आईटी इतिहास में नारायण मूर्ति का योगदान अमिट है। उन्होंने Infosys को विश्व स्तरीय कंपनी बनाने में मदद की, और उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी प्रेरक यात्रा और उनके दृढ़ मूल्य हमें प्रेरित करते रहेंगे और हमें कड़ी मेहनत करने, ग्राहक-केंद्रित होने और अपने समुदायों को वापस देने के महत्व की याद दिलाते रहेंगे।