नारायण वघुल




नारायण वघुल, भारत के मशहूर लेखक और विचारक, जिन्होंने अपनी लेखनी से मराठी साहित्य को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया, उनका जन्म 27 नवंबर, 1939 को मुंबई में हुआ था।

उनका लेखन अक्सर सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पाखंडों और मानवीय स्वभाव की जटिलताओं की पड़ताल करता था। उनकी रचनाएँ विचारोत्तेजक, चुनौतीपूर्ण और अक्सर विवादास्पद भी होती थीं, लेकिन हमेशा तीखेपन और साहस से भरी रहती थीं।

वघुल की सबसे प्रसिद्ध कृतियों में से एक, "गर्भश्रीमंती", मराठी साहित्य की एक मील का पत्थर साबित हुई। यह उपन्यास एक गुजराती व्यापारी परिवार की कहानी कहता है जो मुंबई में बस जाता है और सामाजिक और आर्थिक रूप से सफल होता है, लेकिन अंतिम रूप से व्यक्तिगत और पारिवारिक दुखों का शिकार हो जाता है।

वघुल की शैली तीखी, व्यंग्यात्मक और अक्सर विडंबनापूर्ण थी। वह एक निडर आलोचक थे जो समाज में पाखंड और अन्याय को बेनकाब करने से नहीं हिचकिचाते थे। उनकी रचनाएँ अक्सर हिंदू धर्म के रूढ़िवाद और सामाजिक अन्याय की आलोचना करती थीं।

वघुल की एक और महत्वपूर्ण कृति, "वाघ्र्य वध", एक राजनीतिक थ्रिलर थी जो भारतीय राजनीति के भ्रष्टाचार और क्रूरता को उजागर करती थी। उपन्यास में एक युवा पत्रकार की कहानी बताई गई है जो एक शक्तिशाली राजनेता की हत्या के रहस्य को सुलझाने की कोशिश करता है।

वघुल के लेखन को न केवल मराठी साहित्य, बल्कि भारतीय साहित्य में भी एक महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। उनकी रचनाएँ कई भारतीय भाषाओं और विदेशी भाषाओं में अनूदित की गई हैं। उन्हें साहित्य में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार और ज्ञानपीठ पुरस्कार शामिल हैं।

वघुल का 77 वर्ष की आयु में 18 दिसंबर, 2017 को निधन हो गया। उन्होंने अपने पीछे एक समृद्ध साहित्यिक विरासत छोड़ी है जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

उनकी विरासत

नारायण वघुल की विरासत मराठी साहित्य और भारतीय साहित्य में लंबे समय तक जीवित रहेगी। उनकी रचनाएँ तीखी, विचारोत्तेजक और अक्सर विवादास्पद होती थीं, लेकिन हमेशा सामाजिक न्याय और मानवीय मूल्यों की वकालत करती थीं।

वघुल की रचनाएँ आज भी प्रासंगिक और प्रेरक बनी हुई हैं। वे पाठकों को समाज में पाखंड, भ्रष्टाचार और अन्याय को चुनौती देने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। उनकी विरासत उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो एक अधिक न्यायपूर्ण और मानवीय समाज बनाने की दिशा में काम करते हैं।

वघुल के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य

  • वघुल एक स्व-घोषित नास्तिक थे और उन्होंने अक्सर धार्मिक पाखंड की आलोचना की।
  • वह एक शौकीन फोटोग्राफर थे और उनकी तस्वीरों को कई प्रदर्शनियों में प्रदर्शित किया गया था।
  • वघुल एक कुशल बांसुरी वादक थे और उन्होंने कई संगीत समारोहों में प्रदर्शन किया था।
  • उन्हें घुड़सवारी का शौक था और वह अक्सर मुंबई के रेसकोर्स में घुड़दौड़ में भाग लेते थे।
  • वघुल एक विवादास्पद व्यक्ति थे और उनकी रचनाओं को अक्सर हिंदू धर्म के रूढ़िवादियों द्वारा निशाना बनाया जाता था।