आप तो जानते ही होंगे, कि लोकतंत्र में चुनावों का कितना महत्वपूर्ण स्थान होता है। चुनावों से ही जनता अपने नेताओं को चुनती है, जो आने वाले समय में देश का भविष्य तय करते हैं। इसीलिए तो, चुनावों को लोकतंत्र का महापर्व कहा जाता है।
पर, क्या आपने कभी सोचा है कि चुनाव लड़ने के लिए कितने पैसे खर्च होते हैं? और क्या कभी आपने ये सोचा है कि ये सब पैसे कहां से आते हैं?
हमारे देश में, राजनीतिक दल चुनाव लड़ने के लिए बड़ी मात्रा में पैसा खर्च करते हैं। इस पैसे का इस्तेमाल, उम्मीदवारों के प्रचार, रैलियाँ करने, विज्ञापन देने और वोटरों को लुभाने के लिए किया जाता है।
पहले, राजनीतिक दल चुनावों के लिए बिजनेसमैन या फिर आम लोगों से चंदा लेते थे। लेकिन, इससे कई तरह की दिक्कतें आने लगीं। जैसे कि,
इन समस्याओं को दूर करने के लिए, सरकार ने 2017 में चुनावी बांड लाए। चुनावी बांड, ऐसे दस्तावेज हैं जो लोग सरकार से खरीद सकते हैं और फिर उन्हें राजनीतिक दलों को दे सकते हैं। ये बांड, बैंक से खरीदे जाते हैं और इन पर कोई नाम नहीं लिखा होता है। मतलब, जिसने भी इन बांड को खरीदा है, उसकी जानकारी सरकार के अलावा किसी को नहीं होती है।
सरकार का मानना है कि चुनावी बांड से चुनावों में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार कम होगा। लेकिन, कुछ लोगों का मानना है कि इससे अमीर लोग और बड़े बिजनेसमैन राजनीति में और भी ज्यादा प्रभावशाली हो जाएंगे।
वैसे तो, चुनावी बांड से चुनावों में पारदर्शिता लाने की बात तो की जा रही है, लेकिन ये कितना कारगर होगा, ये तो आने वाले समय में ही पता चलेगा।